कालाष्टमी व्रत की कथा, Kalashtimi Vrat Katha
कालाष्टमी व्रत 24 अक्टूबर 2024 को है
कालाष्टमी व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भय, क्रोध और जीवन की अनेक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस साल, कालाष्टमी व्रत 24 अक्टूबर 2024 को है, और इसे लेकर भक्तों में विशेष उत्साह है। अब आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा, जो शिवजी के एक अद्भुत और रहस्यमयी रूप के उदय की कहानी कहती है।
कालाष्टमी व्रत की कथा? Kalashtimi Vrat Katha
पुराने समय की बात है, जब त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश आपस में श्रेष्ठता को लेकर विवाद कर रहे थे। यह बहस इतनी बढ़ गई कि स्वर्ग के अन्य देवता भी चिंतित हो उठे। तीनों देवताओं के बीच कौन सबसे श्रेष्ठ है, यह प्रश्न देवताओं के बीच हलचल पैदा करने लगा। सभी देवताओं ने एक बैठक बुलाई, जिसमें भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी उपस्थित थे। एक-एक कर सभी देवताओं ने अपनी राय दी। अधिकांश देवताओं ने शिव और विष्णु को श्रेष्ठ माना, लेकिन ब्रह्मा जी इस निर्णय से सहमत नहीं थे।
ब्रह्मा जी ने क्रोधित होकर भगवान शिव को अपशब्द कह डाले। इस अपमान से शिवजी के भीतर भयंकर क्रोध जाग उठा और उनके भीतर से काल भैरव का उग्र रूप प्रकट हुआ। काल भैरव ने क्रोध में ब्रह्मा जी के पांच मुखों में से एक को काट दिया, जिससे ब्रह्महत्या का पाप उनके ऊपर आ गया।
Kalashtimi Vrat Katha in English
Kalashtami Vrat is on 24th October 2024
Kalashtami Vrat holds great significance in Hinduism, dedicated to the fierce form of Lord Shiva, known as Kal Bhairav. It is believed that observing this fast helps devotees overcome fear, anger, and various life challenges. This year, Kalashtami Vrat falls on 24th October 2024, and devotees are enthusiastic to honor Lord Kal Bhairav. Now, let’s dive into the fascinating mythological story associated with this vrat, which tells the tale of the emergence of Shiva’s mysterious and fierce form.
The Story of Kalashtami Vrat
Long ago, a dispute arose among the three deities Brahma, Vishnu, and Mahesh over who was the greatest. The debate escalated to the point where even the other gods in heaven became worried. To resolve the matter, a meeting was called where Brahma, Vishnu, and Shiva were present. One by one, the gods shared their opinions, and most of them considered Shiva and Vishnu to be superior. However, Brahma was not willing to accept this conclusion.
Enraged by this, Brahma spoke disrespectfully to Lord Shiva. This insult stirred Shiva’s intense anger, and the fierce form of Kal Bhairav emerged from his fury. In his wrath, Kal Bhairav severed one of Brahma’s five heads, which resulted in the sin of Brahmahatya (killing a Brahmin) falling upon him.