Shiv Tandav Stotra Lyrics, The “Shiv Tandav Stotra” is like a special song to praise Lord Shiva, who is a powerful god in Hinduism. It was written by the king Ravana. Ravana talks about Lord Shiva’s amazing dance called the Tandav. The dance shows how the world keeps changing, like how things are created, kept safe for some time, and then go away. People like to say or hear this song to feel close to Lord Shiva and ask for his blessings. It’s like a way of connecting with the powerful and good energy of Lord Shiva.
Shiv Tandav Stotra In Sanskrit
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी_
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्जलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥
धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः |
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् |
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वलद्_
धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्_
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥
अखर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी_
रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वसद
विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्डताण्डवः शिवः ॥
स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम् ॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरस्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मन्त्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम् ॥
इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिन्तनम् ॥
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः
शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥
इति श्री रावण कृतम् शिव तांडव स्तोत्र स्तोत्रम् सम्पूर्णम्
Shiv Tandav Stotra Lyrics In Hindi ( Ashutosh Rana)
जटाओ से है जिनके जल प्रवाह मात गंग का,
गले में जिन के सज रहा है हार विष भुजंग का
डमड्ड मड्ड मड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
सजल लहर भी हो गयी चपल चपल ललाट पर
धधक रहा है स्वर्ण सा अनल सकल ललाट पर
ललाट से ही अर्ध चंद्र कह उठा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
जो नंन्दनी के वंदनीय,नंन्दनी स्वरूप है,
वे तीन लोक के पिता,स्वरूप एक रूप है
क्रपालू ऐसे है के चित्त जप रहा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाएं बह रही
भुजंग देवता के शीर्ष मणि प्रभाएँ कह रही
दशा दशा शिवः शिवम् दिशा दिशा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए
समक्ष उनके धूल पुष्प शीर्ष पर चढ़े हुए
विभिन्न कामनाओ के है सम्पदा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
समस्त प्राणियों में उनकी ही कृपाएं बह रही
भुजंग देवता के शीर्ष मणि प्रभाएँ कह रही
दशा दशा शिवः शिवम् दिशा दिशा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वे देव देवताओं के अनादि से गढ़े हुए
समक्ष उनके धूल पुष्प शीर्ष पर चढ़े हुए
विभिन्न कामनाओ के है सम्पदा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
जो इंद्रा देवता के भी घमंड का दमन करें
जो कामदेव की समस्त कामना दहन करें
वही समस्त सिद्धियां वही महा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
विशाल भाल पट्टिका पे अग्नि वे जलाए हैं
वे भष्म काम देवता के शीर्ष पर लगाए हैं
है नंदनी के रुप की तरल छटा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
नविन श्याम मेघ कंठ पर सवार घर चले
वही तो बाल चंद्र नाग गंग शीश धर चले
सकल जगत का भार भी चले उठा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
है नील कंठ सौम्य नील पंकजा समान है,
मनुष्य क्या वे देवता के दंड का विधान है
समक्ष उनके काल स्वयं भज रहा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
सदैव सर्व मंगला,कला के शीर्ष देवता
वही विनाश काल है,वही जनक जनन सदा
नमन कृतज्ञ,प्राण यह जपे सदा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
प्रचंड ताण्डवः प्रभः स्वयं विलीन देख कर
की नित्य देवता को नृत्य में प्रलीन देख कर
मृदंग मुग्ध भावना से कह उठा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
समक्ष उनके देव जन का एक ही विधान है
समग्रता में उनकी दृष्टि उनकी एक ही समान है
नमन नमन समानता के देवता शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
है मात्र एक कामना है मात्र एक वंदना
उन्ही के दर्शनों से पूर्ण हो सभी उपासना
न जाने कब करेंगे हम पे यह कृपा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
चरण को जिनके अप्सराओं के पराग चूमते
शरण में जिनके इंद्रालोक और देव झूमते
अनादि से उमंग की परमरा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
प्रचंड अग्नि से समस्त पाप कर्म भष्म कर
महान अष्ट सिद्धि से सभी अधर्म भष्म कर
विजय के मूल मन्त्र की है साधना शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वही अघोर नाथ है उन्ही से पूर्ण शुद्धता
निहित उनके जाप में मनुष्यता विशुद्धता
समस्त मोह नाश के हैं देवता शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
पूजा वसान ध्यान से करे जो पाठ स्तोत्र का
मुकुट बने वही मनुज परम विशिष्ट गोत्र का
उसी को देते है समस्त सम्पदा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
वे शेष है,अशेष है,प्रशेष है,विशेष है
जो उनको जैसा धार ले वो उसके जैसा वेष है
वे नेत्र सूर्य देवता का चंद्रमा का भाल है,
विलय भी वे प्रलय भी वे,अकाल,महाकाल है
उसी के नाथ हो गये,जो उनके साथ हो लिया,
वही के हो गये है वे जहाँ सुना शिवः शिवम्
डमड्ड मड्ड मड्ड डमरु कह रहा शिवः शिवम्,
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
तरल,अनल,गगन,पवन,धरा धरा शिवः शिवम्
Shiv Tandav Stotra Lyrics In English
Jatatavigalajjalaprapavahapavitasthale
Gale’valambya lambitam bhujangatungamalikam।
Damdaddamdaddamaddamanninadavaddamarvayam
Chakara chandatandavam tanotu nah shivah shivam।
Jatakatahasambramabhramannilimpanirjhari
Vilolavichivalarivirajamanamurdhani।
Dhagaddhagaddhagajjalallalatapattapavake
Kishorachandrashekhare ratih pratikshanam mama।
Dharadharendranandinivilasabandhubandhur
Sphuraddigantasantatipramodamana-manase।
Kripakatakshadhorna niruddhadurdharapadi
Kvachiddigambare mano vinodametu vastuni।
Jatabhujangapingalasphuratphanamaniprabha
Kadambakunkumadravapraliptadigvadhoomukhe।
Madaandhasindhurasphurattvaguttariyamedure
Mano vinodamadbhutam bibhartu bhootabhartari।
Sahasralochanaprabhṛityaśeṣalekhaśekhara
Prasoonadhoolidhorani vidhoosaranghripithabhu।
Bujangarajamālayā nibaddhajatjootaka
Shriyai chiraya jayatam chakorabandhusekhara।
Lalatachatvarajvaladdhananjayasphulingabha
Nipeetapanchasayakam namannilimpanayakam।
Sudhamayookhalekhaya virajamanashekaram
Mahakapalisampadeshrojatalamastu nah।
Karalabhalpattikadhagaddhagaddhagajjvaladdh
Dhananjayahuti-krutapra-chandapanchasayake।
Dharadharendranaṁdinikuchagrachitrapatrak
Prakalpanaikashilpini trilochane ratirmama।
Navinameghamandaliniruddhadurdharasphurat
Kuhunishithinitekamahaprabandhabaddhakandhara।
Nilimpanirjaridharastanotu krittisindhurah
Kalaanidhanabandhurah shriyam jagaddhurandhara।
Praphullanīlapankajaprapanchakalimaprabha
Valambikanthakandali ruchiprabaddhakandharam।
Smarachchhidampurachchhidam bhavachchhidam makhachchhidam
Gajachchhidandhakachchhidam tamantakachchhidam bhaje।
Akharvasarvamangalakalakadambamamjarib
Rasapravahamadhurivijrimbhana-madhuvratam।
Smarantakam purantakam bhavantakam makhantakam
Gajantakandhakantakam tamantakandhakam bhaje।
Jayatvadabhravibhramabhramadbhujangamashvashadh
Vinirgamatkramasphuratkaralabhalahavyavat।
Dhimid-dhimid-dhimiddhvananmridangatungamangala
Dhvanikramapravartitaprachandatanndavah shivah।
Sprishadvichitratalpayorbhujangamauktikasrajor
Garishtharatnaloṣṭhayoh suhradvipakshapakṣayoh।
Trināravindacakshushoh prajāmaheemahendrayoh
Samapravṛttikah kada sadāśivaṁ bhajāmyaham।
Kada nilimpanirjarinikunjkotare vasan
Vimuktadurmatisada sirasthamanjaliṁ vahan।
Vimuktalolalochano lalamabhala-gnakah
Shiveti mantra-muchcharankada sukhi bhavamyaham।
Idam hi nityamevamuktamuttamottamam stavam
Pathansmaranbruvannaro vishuddhmetisantatam।
Hare gurau subhaktimashu yati nanyatha gatim
Vimohanam hi dehinam sushankarasya chintanam।
Pujavasānasaṁaye daśavaktragiitam yah
Śambhupujanaparam patati pradoshe।
Tasya sthiram rathagajendraturangayuktam
Lakshmim sadaiva sumukhim pradadati shambhuh।